एमएसएमई के लिए 45 दिन में भुगतान नियम पर परिचर्चा


एमएसएमई से उद्योगपति, बडे खरीदार बना रहे दूरी

इंदौर। एमएसएमई के लिए के तहत भुगतान संशोधन में 45 दिन का भुगतान नियम धारा-43बी(एच) के तहत किया गया है। इस विषय पर इंडियन प्लास्ट पैक फोरम ने सेमीनार का आयोजन किया। आयोजन के मुख्य वक्ता  सीए पंकज शाह थे। शानिवार शाम  होटल साउथ ऐवेन्यू में आयोजित इस सेमिनार में बडी संख्या में उद्योगपति और संस्था सदस्य उपस्थित थे। 


इंडियन प्लास्ट पैक फोरम ने इंदौर में 45 दिनों में सूक्ष्म और लघु प्रतिष्टानो को भुगतान सम्बंधित आयकर नियमो पर सेमिनार आयोजित किया जिसमे सीए पंकज शाह ने प्रावधानों पर प्रकाश डाला। फोरम के अध्यक्ष सचिन बंसल ने बताया कि हमारे देश में एमएसएमई का अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान है क्यूंकि लगभग १२ करोड़ लोगो को इससे रोज़गार मिलता है और अर्थव्यवस्था में ३० प्रतिशत जीडीपी इस वर्ग का योगदान है. आयकर विभाग द्वारा इस वर्ष से लागु नियम जिसके तहत 45 दिनों के बाद पेमेंट होने पर खर्च को अमान्य करने से एमएसएमई को फायदे के बजाय नुकसान ज्यादा दिख रहा है। 

सीए पंकज शाह ने बताया कि माइक्रो और स्माल एंटरप्राइज से माल खरीदने पर उन्हें अधिकतम 45 दिन में पेमेंट करना है। 45 दिनों की ड्यू डेट के ख़त्म होने पर 31 मार्च २०२४ को जिन भी सूक्ष्म और लघु सप्लायर से खरीद के पैसे देन बकाया है उस खरीद की छूट नहीं मिलेगी जिससे उस खरीद की राशि पर अतिरिक्त कर देना होगा।

उन्होंने यह भी बताया कि यह प्रावधान केवल उन व्यापारियों पर लागु होंगे जी मैन्युफैक्चरिंग या सर्विस प्रोविडर हैं और ट्रेडर्स पर यह प्रावधान लागु नहीं होता हैं। इस कानून के अंतर्गत अगर देय डेट के पश्चात अगर पेमेंट किया गया हैं तो बैंक रेट का तीन गुना ब्याज भी देना होगा। साथ ही इस तीन गुना ब्याज की भी आयकर में छूट नहीं मिलेगी। कई व्यापार में क्रेडिट पीरियड ६० से ९० दिन होता है क्यूंकि खरीददार को आगे से पेमेंट लेट आता है।  ऐसे में पेमेंट मिले बिना आगे खरीददार को पेमेंट करने के लिए अतिरिक्त वोर्किंग कैपिटल की आवश्यकता होगी। इससे प्रॉफिट मार्जिन पर भी असर पड़ेगा।  

सीए शाह ने बताया कि इन प्रावधानों के कारण कई व्यापारी अपना एमएसएमई रजिस्ट्रेशन कैंसिल कर रहें है क्यूंकि बड़े खरीददार इस प्रावधान के कारण एमएसएमई से माल खरीदने परहेज कर रहें है। इस प्रावधान के अनुसार हर व्यापारी चाहे वो स्वयं MSME हो या नहीं पर अगर वो सूक्ष्म और लघु यूनिट से माल खरीद रहा है तो उसके खर्चा अमान्य होगा। अगर व्यापारीयो ने पूर्व में उद्योग आधार लेकर MSME का रजिस्ट्रेशन करवाया था पर उसे जून के बाद उद्यम रजिस्ट्रेशन में अपडेट नहीं किया है तो वह MSME नहीं माना जाएगा और उसे लेट पेमेंट मिलने पर यह प्रावधान का लाभ नहीं मिलेगा 

संस्था के सचिव श्री अंकित भरुका ने बताया कि हमने सरकार को सुझाव भेजे है कि इस प्रावधान को एक वर्ष के लिए लंबित कर दिया जाए क्यूंकि इससे व्यापार पर प्रतिकूल असर हो रहा है। अगर इसे लागु किया जाए तो इतना संशोधन करें कि अगर किसी व्यापारी ने रिटर्न फाइल करने की तारिख तक भुगतान कर दिया तो खर्च अमान्य नहीं हो।  करदाता के लिए फैसिलिटी दी जाए जिससे वह GST डिटेल से चेक कर सके कि व्यापारी MSME में रजिस्टर्ड है या नहीं।  कार्यक्रम में श्री प्रवीण अग्रवाल, श्री हितेश मेहता,श्री अनिल चौधरी, जाहित शाह सहित बडी संख्या में उद्योगपति मौजूद थे।

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